( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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विश्व में हिन्दी की भूमिका व स्थिति

    1 Author(s):  SUMAN DEHMAN

Vol -  9, Issue- 2 ,         Page(s) : 261 - 267  (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

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Abstract

भाषा वह महत्वपूर्ण इकाई हैं जो मानव जाति को एक सुत्र में संजोकर रखती हैं| भाषा के स्वरूप का निर्धारण मानव समाज द्वारा होता हैं| समाज अौर मनुष्य की पहचान भाषा से होती हैं| इसलिए कहा जाता है कि भाषा ही समाज हैं| निश्चित रूप से भाषा मानव की सहचारिणी हैं| हिन्दी भाषा भारत में ही नही विदेशों में भी भौगोलिक दायरा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है| एक आधुनिक भारतीय भाषा के रूप में हिन्दी की उम्र सहस्र वर्ष हो चुकी हैं| भारतीय सीमा से बाहर हिन्दी का गमन मुख्य रूप से 1834ई० से माना जाता है| इस वर्ष भारतीय बड़ी संख्या में प्रवासी बनकर विदेश गए थे| इस तरह से उनके साथ उनकी भाषाएँ मुख्य रूप से हिन्दी उनके प्रदेश निवास मे उनके साथ रही| भारतीय बंधुओ मजदूरो के मारिशन गमन के आज एक सौ चौरासी वर्ष बीत चुके है| इसके बाद ट्रिनिडाड, फिजी, सूरीनाम, गयाना, दक्षिण अफ्रीका आदि देशो में भारतीय मजदूर शतिबध प्रथा के तहत गए| कुछ लोग निरक्षर होने के कारण विदेशी भाषाओं को नही सीख पाए और रूचि भी नही दिखाई | इसी तरह उनको विदेशी भाषाओं का ज्ञान नही था और जिन्हें थोड़ा बहुत था उनकी विदेशी भाषा मे पकड़ अच्छी नही थी


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