International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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दरियापंथ का स्वरूप
1 Author(s): DR.SUDHA NIKETAN RANJANI
Vol - 5, Issue- 1 , Page(s) : 487 - 499 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
‘दरियापंथ’ के प्रवर्तक दरिया साहब हैं। इस पंथ की स्थापना भी उनके द्वारा ही की गई थी, जिसकी चर्चा हम पहले कर चुके हैं। दरियापंथी मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं- पहला ‘साधु’ और दूसरा ‘गृहस्थ’। ‘साधु अपने घर-परिवार से मुक्त होकर मठ में निवास करते हैं। ये सर मुड़ाकर नंगे सिर रहते हैं तथा सफेद धोती का प्रयोग करते हैं। ये किसी प्रकार का टीका, कंठी, माला आदि धारण नहीं करते। ‘गृहस्थ’ अपने परिवार के साथ अपने घर में रहते हैं। ये जन सामान्य से किसी रूप में अलग नहीं होते। पंथ में हिन्दू या मुसलमान दोनों ही सम्मिलित हो सकते हैं; इसमें जाति या धर्म जैसी कोई पाबंदी नहीं है।