रामनरेश त्रिपाठी और रामधारी सिंह ‘दिनकर’ तुलनात्मक अध्ययन
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Author(s):
DR. BABITA CHAUDHARY
Vol - 5, Issue- 5 ,
Page(s) : 320 - 335
(2014 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
जब सारा भारत राष्ट्रीय संकट से गुजर रहा था तब अपने देश को आजाद करने की तमन्ना लिये कई नौजवानों ने अपना बलिदान दिया। चारों ओर स्वतंत्राता आन्दोलन की हवा चल रही थी। गुलामी की बेड़ी को तोड़कर लोग आराम की नींद सोना चाहते थे। ऐसे समय में अपने विचारों की क्रांति बगाकर, अपने युग की पुकार को मुखरित करके रामधरी सिंह ‘दिनकर’ ने भी अपने कवि-कर्म को निभाया।
- दिनकर, चक्रवात की भूमिका, पृ. 34
- वही, पृ. 26
- डाॅ. सावित्राी सिन्हा, युगचरण दिनकर, पृ. 19
- दिनकर, चक्रवात की भूमिका, पृ. 24
- डाॅ. सावित्राी सिन्हा, युगचरण दिनकर, पृ. 70
- दिनकर, रेणुका, पृ. 3
- वही, पृ. 7
- दिनकर, बापू, पृ. 16
- रामनरेश त्रिपाठी, मिलन, पृ. 29
- रामनरेश त्रिपाठी, जयन्त, पृ. 113
- रामनरेश त्रिपाठी, मानसी, आकांक्षा, पृ. 34
- दिनकर, संस्कृति के चार अध्याय, पृ. 446
- दिनकर, नील कुसुम, पृ. 94-95
- रामनरेश त्रिपाठी, मिलन ;दसवां संस्करणद्ध, पृ. 22
- रामनरेश त्रिपाठी, जयन्त, पृ. 24
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