International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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दलित समाज की वेदना व शिक्षा
1 Author(s): DR DINESH KUMAR
Vol - 5, Issue- 8 , Page(s) : 131 - 132 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
दलित समाज सदियों से गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ चला आ रहा है भारत की आजादी के बाद अनेक नियम कानुन बनाकर इस वर्ग को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया गया है यद्यपि कुछ विकास देखने को मिल रहा है लेकिन सामाजिक रूप से आज भी ये भेदभाव के शिकार व पिछड़े हुए है। पढने-लिखने के बाद भी हिन्दु समाज द्वारा इनको अपने समान नही समझा जाता है वर्षों पुराने आये आर्यो के कारण ये मूल भारतीय अपनी ही भूमि पर बेगाने दिखते हैं जिस प्रकार अंग्रेजों ने यहाँ आकर भारत के प्रत्येक भाग पर अपना अधिकार कर लिया या उसी प्रकार आर्य जो अब भारतीय हिन्दु है उन्होने भारत की भूमि पर अपना अधिकार करके यहीं पर बस गये हैं वे स्वयं भी नही जानते कि हम हिन्दु भारतीय नही बल्कि विदेशी जाति जो कबिले के रूप में भारत आये थे।