International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
डाॅ. सुमन राजे और इतिहास लेखन
1 Author(s): DR. SUDHA MISHRA
Vol - 6, Issue- 1 , Page(s) : 96 - 101 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
हिन्दी गद्य साहित्य आज अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बन चुका है। यह जीवन की प्रत्येक गति एवं स्थिति को सार्थक एवं प्रभावी अर्थ देने में सक्षम है। निबन्ध, आलोचना, उपन्यास, कहानी , नाटक, एकांकी, जीवनी, गद्य-गीत आदि सभी परिचित विधाओं के अतिरिक्त संसम्रण, रेखाचित्र, डायरी-पत्र, रिपोतार्ज, यात्रा-वृत्त, साक्षात्कार, व्यंग-लेख, केरीकेचर, एकालाक आदि अनेक नवीन विधाओ का विकास हिन्दी गद्य के बहु-आयामी स्वरूप तथा जीवन की वास्तविकता एवं संश्लिष्टता को रूपायित करने की उसकी बढती हुई क्षमता का द्योतक है। हिन्दी गद्य के इस बहु-आयामी विकास के साथ आज हिन्दी के लेखको व रचनाकारों का दायित्व भी बढ गया है। डाॅ. सुमन राजे का गद्य साहित्य इसी बात का परिवहन करता दिखाई देता है। डाॅ. सुमन राजे ने गद्य साहित्य केे उन गूढतम विषयो पर लेखनी चलाई व उनका अर्थ खोज निकाला जिसे अन्य लेखक छूने की भी कोशिश नही करते। किसी भी भाषा का साहित्य अचानक उत्पन्न नहीं हो जाता। इसकी उत्पŸिा तथा विकास में युगों की प्रवाहित विचारधाराएँ समाहित रहती हैं।