International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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गरीबदास की सामाजिक भावना
1 Author(s): DR. KULDEEP SINGH
Vol - 6, Issue- 3 , Page(s) : 179 - 185 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
हरियाणा प्रदेश की पावन भूमि का प्राचीन काल से ही गौरवमयी इतिहास रहा है। हरियाणा प्रदेश की भूमि को विद्या-विशारदों के द्वारा भारतीय संस्कृति, दर्शन और साहित्य की विकास-भूमि के रूप में स्वीकार किया है। प्राचीन इतिहास, धार्मिक व पौराणिक गं्रथों तथा संस्कृत साहित्य के अध्ययन से इस तथ्य की पुष्टि हो जाती है कि घग्घर व सरस्वती प्राचीनकाल की महान नदियाँ थी़ं। प्राचीन संस्कृति व महाभारत युद्ध की स्मृति के प्रतीक कुरूक्षेत्र व पेहवा नगर सरस्वती नदी के तट पर स्थित है। पौराणिक एवं धार्मिक गं्रथ भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि सरस्वती नदी के किनारे तपस्या मंे लीन महान् विभूतियों ने श्रेष्ठतम ग्रंथो की रचना की थी। कीथ और हापंिकस महोदय के विचारों से वेदों की रचना सरस्वती के तट पर हुई। वैदिक वाड्मय-संहिताओं, ब्राह्यणों, आरण्यकों तथा उपनिषदों का प्रणयन भी यहीं सरस्वती-तट पर ही हुआ।