International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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आपा-साहित्य में भक्ति भावना
1 Author(s): DR. PRITI
Vol - 2, Issue- 2 , Page(s) : 112 - 121 (2011 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
हिन्दी साहित्य की उत्तर मध्यकालीन सन्त परम्परा में आपा पंथ का विषिश्ट स्थान है। इस पंथ के प्रवर्तक कवि मुनिदास (आपा साहब) हैं। कबीर की भाँति इन्होंने भी मसि-कागद नहीं छुआ था। भावावेष में वे गीतों का गायन करते थे, जिनका संकलन इनके वंषजों ने किया है। इस पंथ के परवर्ती कवियों में कुछ वंष परम्परागत तथा कुछ षिश्य परम्परागत हैं। इन कवियों ने भी प्रचुर साहित्य लिखा, जो अभी तक हस्तलिखित रूप में विद्यमान हैं।