( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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आपा-साहित्य में भक्ति भावना

    1 Author(s):  DR. PRITI

Vol -  2, Issue- 2 ,         Page(s) : 112 - 121  (2011 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

हिन्दी साहित्य की उत्तर मध्यकालीन सन्त परम्परा में आपा पंथ का विषिश्ट स्थान है। इस पंथ के प्रवर्तक कवि मुनिदास (आपा साहब) हैं। कबीर की भाँति इन्होंने भी मसि-कागद नहीं छुआ था। भावावेष में वे गीतों का गायन करते थे, जिनका संकलन इनके वंषजों ने किया है। इस पंथ के परवर्ती कवियों में कुछ वंष परम्परागत तथा कुछ षिश्य परम्परागत हैं। इन कवियों ने भी प्रचुर साहित्य लिखा, जो अभी तक हस्तलिखित रूप में विद्यमान हैं।

  1.   आपा पंथ का समस्त प्रकाषित एवं हस्त लिखित साहित्य
  2.   आपा साहब और उनकी कृतियाँ-डाॅ0 उदयप्रताप सिंह
  3.   उत्तरी भारत की संत परम्परा-आचार्य परषुराम चतुर्वेदी
  4.   कबीर की विचारधारा-डाॅ0 गोविन्द त्रिगुणायत
  5.   भारतीय दर्षन-डाॅ0 राधा कृश्णन
  6.   रामचरित मानस - गोस्वामी तुलसीदास
  7.   हिन्दी की निर्गुण काव्य धारा और उसकी दार्षनिक पृश्ठ भूमि-   डाॅ0 गोविन्द त्रिगुणायत
  8.   ईषा वास्योपनिशद्
  9.   ऐतरेयोपनिशद्
  10. तैत्तरीयोपनिशद्
  11. ऋग्वेद
  12. गीता
  13. भागवत्-पुराण
  14. ष्वेताष्वतर उपनिशद्
  15. कल्याण: भगवत्प्रेम अंक-2003 ई0
  16. कल्याण: भक्ति अंक-1958 ई0

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