मध्यप्रदेश के सागर जिले में स्व-सहायता समूह योजना
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Author(s):
DR. RAJKUMAR THAKUR
Vol - 7, Issue- 4 ,
Page(s) : 243 - 249
(2016 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
किसी भी राष्ट्र की आर्थिक तथा सामाजिक संमृद्धि के लिए एक सुदीर्ध, समन्वित एवं नियोजित प्रयत्न आवश्यक होते हैं। भारत जैसे विशाल तथा सामाजिक विविधता वाले देश में तो आर्थिक विकास की चुनौती और भी जटिल हो जाती है। ग्रामीण परिवेश की विशिष्टता के कारण भारत में विकास की अवधारणा के क्रियान्वयन की व्यूहरचना का ग्राम आधारित होना अपरिहार्य है। ”ग्रामीण विकास का भारतीय संदर्भ में विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार आज भी 72.22 प्रतिशत जनसंख्या गांव में रहती है। इनमें से अधिकांश व्यक्ति अपनी अजीविका कृषि तथा सहायक गतिविधियों से प्राप्त करते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में ही देश की कुल कार्यशील जनसंख्या का 60.41 प्रतिशत निवास करता है। गरीब जनसंख्या का भी अधिकांश भाग ग्रामीण क्षेत्र में ही है और यही कारण है कि स्वतंत्रता के बाद से भारतीय नियोजित विकास की व्यूह-रचना ग्रामीण विकास पर केन्द्रित रही है।
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