( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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मध्यप्रदेष में एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम की ऐतिहासिक विवेचना

    1 Author(s):  DR. NARENDRA KUMAR SHRIVASTAVA

Vol -  7, Issue- 7 ,         Page(s) : 144 - 151  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

मध्यप्रदेष देष का ह्दय है परन्तु प्रदेष में आज भी ग्रामीण आबादी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। प्रदेष में रोजगार के अवसर विद्यमान होने के पष्चात् भी तकनीकी ज्ञान के आभाव में यहां की आबादी, उनका उपभोग नहीं कर पाती हैं। जिससे अन्य राज्यों से आबादी का पलायन प्रदेष में निरंतरता बनाये हुये है जो कि अपनी क्षमता का प्रदेष में उपयोग कर रोजगार में परांगत हो चुके हैं। केन्द्रीय एवं राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण विकास की दिषा में अनेकों रोजगारपरक व निर्धनता निबारक विकासात्मक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जिनमें करोडो रूपये का पूंजी विनियोजन व अनुदान सम्मलित हैं। लेकिन ये कार्यक्रम अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं कर सके तथा विकास का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों तक संपूर्ण रूप से नहीं पहुचाया जा सका हैं। इन परिस्थितियों में केन्द्रीय सरकार ग्रामीण विकास विभाग की ओर से एक ऐसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की आवष्यकता महसूस की गई जिसे पांचवी पंचवर्षीय योजना में अपनाया गया ताकि ग्रामीण जनसंख्या को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सके ताकि उन्हे आय व रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध करा सके तथा सीधे उनके जीवन-स्तर में सुधार कर सके। एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम इन्ही भावनाओं को ध्यान में रखकर 2 अक्टूबर 1980 से देष के समस्त विकास खंडो में सुचारू रूप से प्रारंभ किया गया हैं। इस कार्यक्रम का मूल उदेष्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की सीमा रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले चुने हुये परिवारों को सहायता उपलब्ध कराना हैं।

1. वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 1980-1981 से 2015-2016, भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय, नई दिल्ली।
2. भारत में एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम क्रियांनवयन एवं उपलब्धियाॅ लेखक नरेन्द्र श्रीवास्तव प्रकाषक नार्दन बुक सेन्टर नई दिल्ली 1995
3. अपना मध्य प्रदेष सामान्य ज्ञान, लेखक पी.एस.मीणा, पुणेकर पब्लिकेषन, खजूरी बाजार इंदौर 2016
4. मध्यप्रदेष विस्तृत अध्ययन- लेखक पुर्णेन्दु कुमार, अरिहंत पब्लिकेषनस नई दिल्ली 2009 नई दिल्ली।
5. ‘‘षोध प्रबंध सागर जिले में एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत लाभांवित हित ग्राहियों का आर्थिक सर्वेक्षण विषय पर डाॅक्टर आॅफ फिलासफी की उपाधि, डाॅ हरीसिंह गौर विष्वविद्यालय सागर, नरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव वर्ष 1992.

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