( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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वैदिक संहिताओं और उपनिषदों में आत्म विषयक अवधारणा

    1 Author(s):  DR. PRAMOD KUMAR SINGH

Vol -  7, Issue- 9 ,         Page(s) : 134 - 143  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

वेद भारतीय धर्म एवं दर्शन का प्राण रहा है। यह अक्षय विचारों का मानसरोवर है, जहाँ से चिंतन धारा प्रवाहित होकर भारत भूमि के मस्तिष्क को उर्वर बनाती हुई निरन्तर प्रवाहित है तथा अपनी सत्ता के लिए उसी उद्गम भूमि पर आश्रित रहती है। यह नित्य, निखिल, ज्ञान के अमूल्य कोष एवं धर्म का साक्षात्कार करने वाले महर्षियों के द्वारा अनुभूत परमतत्व के परिचायक है। वेद वह ज्ञान है जिसका ऋषियों ने तपस्या के द्वारा अभय ज्योति के रूप में साक्षात्कार किया था और शब्दों के द्वारा उस ज्ञान को मन्त्र के रूप में प्रकाशित किया था।

1. ऋग्वेद, पंचम भाग, सूची बाण्ड, पृष्ठ, 233-234
2. शर्मा, डाॅ0 गणेश दत्त, ऋग्वेद के दार्शनिक तत्व, पृष्ठ, 99
3. अवस्थी, डाॅ0 विश्वम्भर दयाल, प्रस्थानत्रयी दर्शन, पृष्ठ, 122
4. ऋग्वेद, 10/177/1
5. ़ऋग्वेद, 2/27/11
6. ऋग्वेद, 1/143/2
7. ऋग्वेद, 1/22/20-21
8. ऋग्वेद, 10/164/20
9. यजुर्वेद, 1/17/9
10. अस्यवामीय सूक्त-ऋग्वेद, 1/164/5
11. नासदीय सूक्त-ऋग्वेद, 10/64
12. ऋग्वेद, 1/164/5
13. ऋग्वेद, 1/164/21
14. ऋग्वेद, 1/164/30
15. ऋग्वेद, 1/113/6, 1/140/8
16. वहीं, 10/10/3
17. वही, 10/177
18. तैत्तिरीय आरण्यक, 9/1
19. शतपथ ब्राह्मण, 7/1/1
20. वही, 7/1/1
21. वही, 7/1/1/18
22. वही, 7/1/1/18
23. ऐतरेय आरण्यक, 2/4/1, 3
24. वही, 2/6/1
25. वृदारण्यक उपनिषद्, 2/5/19
26. वही, 3/5/1
27. वही, 2/4/5
28. वही, 1/4/8
29. छान्दोग्य उपनिषद, 8/12/1
30. कठोपनिषद, 1/2/18
31. मुण्डकोपनिषद, 1/1/6
32. माण्डूक्योपनिषद्, मन्त्र, 7
33. वृहदारण्यकोपनिषद्, 3/4/2
34. छान्दोग्यपनिषद, 7/1/2
35. वही, 1/1/3
36. कठोपनिषद, 2/1/12
37. वही, 1/2/22
38. वृहदारण्यक उपनिषद्, 4/4/22
39. तैत्तिरीय उपनिषद्, 2/1/1
40. मुण्डकोपनिषद्, 3/1/8
41. श्वेताश्वतर उपनिषद्, 5/9
42. वृहदारण्यक उपनिषद्, 4/5
43. कठोपनिषद्, 1/3/12
44. माण्डूक्योपनिषद् गीताप्रेस, 235
45. वही, 236
46. वही, 237
47. वही, 238
48. वही, 240
49. रानाडे, रामचन्द्र दत्तात्रेय, उपनिषदों का रचनात्मक सर्वेक्षण, पृ0 98-99 (अनुवाद रामचन्द्र तिवारी)।
50. कठोपनिषद्, 1/3/3-4
51. श्वेताश्वतर उपनिषद्, 5/10
52. केनोपनिषद्, 1/3

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