International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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भारतीय संस्कृति में लोक कला एवं जनजातीय कला का स्वरुप
1 Author(s): SACHIV GAUTAM
Vol - 7, Issue- 11 , Page(s) : 109 - 117 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
अभिव्यक्ति मनुष्य की प्राकृतिक प्रवृत्ति है। अपने अन्दर के भावों को प्रकट करना उसकी पहली प्राथमिकता है, और उसकी इन भावनाओं का आधार है- मनुष्य का परिवेश। मुनियों, ज्ञानियों और विद्वानों का मत है, की आदि काल में जब भाषा और लिपि-चिह्नों का विकास नही हुआ था, तब मनुष्य रेखाओं के संकेत से ही व्यक्ति स्वयं को अभिव्यक्त करता था। आदि कालीन गुफाओं में मिले शैलचित्र इस बात के प्रमाण है। इस समय जीवन के अन्य पक्ष अभी विकसित होने थे, इसीलिए तत्कालीन भारतीय चित्रांकन भी इसी विकास तक ही सिमित रहे हैं।