International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
अभीष्टकामना
1 Author(s): DR. SONAL
Vol - 8, Issue- 6 , Page(s) : 175 - 179 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
मानव मन में अन्नत कामनाएं होती हैं लेकिन उनमें से व्यक्ति की कौनसी अभीष्ट कामना हैघ् उसका ज्ञान व निर्णय कर पाना जटिलहोता है। सामान्यतः मनुष्य की विषयभोगों की कामना ही होती हैं लेकिन मनुष्यअज्ञानतावश यह नहीं जानता कि विषयों का स्वभाव है क्षणिक व विनाशशील और इंद्रियोंका स्वभाव है विषयों की ओर गमन करना। इंद्रियों के इस प्रवृत्ति को जानते हुए ही हमारे ऋषियों ने विषय कामनाओं को मनुष्य के लिए इष्ट नहीं माना गया है क्योंकि इष्ट वो होता है जिसको प्राप्त करने के उपरांत समस्त कामनाएं समाप्त हो जायें या उससे इतर की इच्छा भी हमारे मन में न उत्पन्न हो और विषय भोगों की कामना से यह मन और इंद्रियां कभी तुष्ट नहीं हो सकती।