भक्तिधारा एवं निर्गुण संत परम्परा (साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य)
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Author(s):
DR. RAJ KUMARI
Vol - 10, Issue- 7 ,
Page(s) : 425 - 436
(2019 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
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Abstract
हिंदी साहित्य के इतिहास के सन्दर्भ में भक्तिकाल से तात्पर्य उस समय से है जिसमें आदिकाल की वीरगाथात्मकता और हठ योग साधना को पीछे धकेलते हुए आध्यात्मिकता और भक्ति निरूपण को साहित्य का मुख्य उद्देश्य बना दिया।
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