फिजी प्रवासी भारतीय शर्तबन्ध श्रमिकों की सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक स्थित (1879-1925 ई0)
1
Author(s):
AMIT KUMAR SAINY
Vol - 9, Issue- 9 ,
Page(s) : 43 - 52
(2018 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Get Index Page
Abstract
ब्रिटिष सरकार के द्वारा दास प्रथा समाप्त करने के बाद विभिन्न औपनिवेषिक गन्ना कालोनियों मे श्रमिकों की कमी के कारण भारत से श्रमिकों का प्रवास कराया गया जिन्हे शर्तबन्ध श्रमिक अथवा गिरिमिटिआ श्रमिक के नाम से जाना जाता है। फिजी मे भी इन श्रमिकों का प्रवास कराया गया था। आरम्भ मे षर्तबन्दी श्रमिक व्यवस्था के दौरान इनको अनेंको समस्याओं का सामना करना पड़ा था, जिसका समय≤ पर इन प्रवासी श्रमिकों ने बिरोध भी किया था परन्तु राजनैतिक चेतना न होने के कारण इनका विरोध प्रभावी नही हो रहा था। धीरे-धीरे यह श्रमिक अपने आप को फिजी का ही स्थाई निवासी मानने लगे थे। अपने मूल वतन से हजारों मील दूर इन प्रवासियों ने अपने धार्मिक और सामाजिक जीवन को बचाए रखने के लिए अनेको संस्थाओं का गठन किया और अपनी मूल संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखा। कृषि एवं व्यापार करके वहाॅं की अर्थव्यवस्था को एवं अपने आप को मजबूत बनाने का प्रयास किया। वहाॅं के स्थाई निवासी हो जाने के कारण राजनैतिक भागीदारी मे हिस्सा लेने के लिए संघर्ष किया जिसके परिणाम बाद के वर्षों मे आए।
|