डाॅ0 अम्बेडकर का त्रयी सिद्धान्त: एक दार्शनिक अध्ययन
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Author(s):
DR. ASHOK KUMAR PANDAY
Vol - 8, Issue- 10 ,
Page(s) : 101 - 103
(2017 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
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Abstract
डाॅ0 अम्बेडकर आधुनिक काल के युग द्रष्टा थे, जिन्होंने अपने विचारों द्वारा दलित वर्गों की समस्याओं तथा कठिनाईयों का निराकरण करने के लिए क्रान्तिकारी तथा मानववादी दृष्टिकोण ’’त्रयी सिद्धान्त ’’ के रूप में दिया, जो उनकी विलक्षण बुद्धि का परिचायक है। अपनी त्रयी सिद्धान्त के माध्यम से डाॅ0 साहब ने समाज मंे एक नयी व्यवस्था का उद्घोष किया, जिससे समाज के दबे-कुचले लोगों को सम्मानजनक रहने, बोलने की स्वतंत्रता प्राप्त हो। उन्होंने भारतीय संविधान के जनक के रूप में संविधान में त्रयी सिद्धान्त को प्रमुख स्थान दिलाया, जिसकी उद्घोषणा स्वयं उन्होंने सामाजिक न्याय के संदर्भ में की। अतः त्रयी सिद्धान्त की अवधारणा पर दार्शनिक दृष्टि से गहन विचार करना आवश्यक प्रतीत होता है।
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