भारतीय संस्कृति का मूलाधार तत्व-‘शिक्षा’
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Author(s):
VARSHA RATHORE
Vol - 8, Issue- 10 ,
Page(s) : 130 - 135
(2017 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
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Abstract
किसी समाज की शिक्षा में यदि कोई विशेषता मिलती है तो उसका एकमात्र कारण उस समाज की संस्कृति है। वस्तुतः प्रत्येक समाज की शिक्षा उसकी अपनी संस्कृति के अनुरूप ही व्यवस्थित होती है। शिक्षा संस्कृति का अभिन्न अंग है। शिक्षा व संस्कृति के संबध को ब्रोमेल्ड इस प्रकार परिभाषित करते है - ‘संस्कृति की सामग्री से ही शिक्षा का प्रत्यक्ष रूप से निर्माण होता है और सामग्री शिक्षा को न केवल उसके स्वयं के उपकरण वरन् उसके अस्तित्व का कारण भी प्रदान करती है।’’1 प्रस्तुत कथन से स्पष्ट है कि शिक्षा संस्कृति के अभाव में निस्सार एवं निष्प्रयोजन है।
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