International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
प्राची भारतीय समाज में कन्या का विवाह
1 Author(s): DR. NIKKY KUMARI
Vol - 10, Issue- 8 , Page(s) : 343 - 349 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
वैदिक काल में विवाह एक पवित्र संस्कार माना जाता था। उस समय न केवल आवश्यक वरन् एक सामजिक एवं धार्मिक कर्त्तव्य माना जाता था। प्राचीन ईरानी आर्यो के ग्रन्थ जेन्द धार्मिक कर्त्तव्य माना जाता था। प्राचीन ईरानी आर्यो के ग्रन्थ जेन्द अवेस्ता में भी विवाह को आवश्यक बताया गया है। तैत्तिरीय ब्राह्यण में अविवाहित कन्या को अपूर्ण कहा गया है। भारत में 500 ई.पू. तक यह माना जाता था कि कन्या के लिए विवाह आवश्यक है, लेकिन समाज इस बात पर भी इतना जोर नहीं देता था कि हर परिस्थिति में विवाह किया ही जाये। वैदिक साहित्य में ऐसी कन्याओं के उदाहरण भी मिलते है जो दीर्घकाल तक अथवा आजीवन अविवाहित रहती थी।