International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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जन-मन के सजग चितेरे : नागार्जुन
1 Author(s): DR. REENA YADAV
Vol - 10, Issue- 3 , Page(s) : 408 - 413 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
जब - जब धरा पर अन्याय व अधर्म गतिशील हुआ है तथा पाप के बोझ से धरती अकुलाई है तब - तब कालजयी युगपुरूषों व जननायकों का अविर्भाव हुआ है। भारतवर्ष इन युगसारथियों से सर्वदा सम्पन्न रहा है। इसीसे प्रो0 नित्यानंद पांडे जी कहते है - हमारी गौरवशाली भारतीय संस्कृति ने अपने हजारों वर्षों के दीर्घ जीवनकाल में उत्थान - पतन के चक्र को घूमते कई बार देखा है और हर संकट के समय ऐसे महापुरूषों को जन्म दिया है जो प्राचीन के जड़ अंश को काटकर उसके चित्त अंश के आलोक में नवीन का सर्जन कर उसे समृद्ध और शक्तिशाली बनाते रहे हैं