International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गरम-दल की भूमिका
1 Author(s): DR. MADHVI KUMARI
Vol - 10, Issue- 3 , Page(s) : 460 - 462 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
नरमपंथी स्वराज को अव्यवहारिक कपोल कल्पना समझते थे। वे धर्म और सामाजिक मामलों में ही नहीं वरन् राजनीति में भी सुधारवादी थे। जैसा कि लैंसडाउन ने 1891 में स्वीकार किया कि उनके अधिकांश ’उचित’ थे उनका स्वर संयत था’’ तथा उनका संबंध ऐसे प्रश्नों से था जिन्हें भारत सरकार कभी न कभी बहस का विषय मानती रही है।1 एलिन जानता था कि फिरोजशाह मेहता जैसे लोग क्रान्तिकारी नहीं हो सकते।2 लार्ड जार्ज हेमिल्टन जैसे शक्की व्यक्ति ने भी स्वीकार किया कि अभी प्रशासनिक सेवा के स्वार्थ में भारत का शोषण हो रहा है तथा काँग्रेस का आन्दोलन अंग्रेजी राज के विरूद्ध नहीं बल्कि आंग्ल भारतीय नौकरशाही के विरूद्ध भारत के देशी लोकमत का विस्फोट है।