International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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राष्ट्र निर्माण में दलितों का योगदान
1 Author(s): RAJ KUMAR MALLIK
Vol - 10, Issue- 3 , Page(s) : 515 - 521 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
‘दलित‘ शब्द संस्कृत की ‘दल्‘ धातु से निष्पन्न है । इस धातु का अर्थ फटना, टूटना, कटना, विभाजन करना, कुचलना, पीसना, पृथक होना, विकसित होना या विकसित करना, इत्यादि है । वह, जिसका दलन या दमन हुआ है, दबाया गया है, उत्पीड़ित, शोषित, गिराया गया, उपेक्षित, घृणित, रौंदा हुआ, मसला हुआ, कुचला हुआ, मर्दित, हतोत्साहित, वंचित और विनिष्ट है, दलित है। ऐसे ही दलित और दमित लोगों की पीड़ा को स्वर देने वाला साहित्य, दलित साहित्य कहलता है जिसकी परिभाषा विभिन्न विद्वानों ने अलग - अलग तरीके से दी है ।