International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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ईस्ट इण्डिया कम्पनी शासन काल में मिथिला में जमींदारी प्रथा (1765-1856)
1 Author(s): ARCHANA KUMARI
Vol - 4, Issue- 1 , Page(s) : 681 - 685 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
जमींदारी शब्द फारसी भाषा से उद्धृत है जिसका मूल अर्थ होता है भू-धारक। जमींदारी शब्द का प्रचलन मुगलकाल में हुआ। आधुनिक अर्थ में इसका तात्पर्य ‘भू-स्वामी‘ से माना जाता है। मुगलकाल में जितने भी जमींदार थे वे मुगल बादशाह की अधीनता को स्वीकार करते हुए एक निश्चित वार्षिक रकम शाही खजाने में जमा करते थे। मुगलकाल में सम्पूर्ण बिहार छोटे-छोटे सरकार में बंटा था जिसमें तिरहुत सरकार और हाजीपुर सरकार मिथिला के अन्तर्गत था। सम्राट अकबर ने तिरहुत सरकार की जमींदारी खण्डवला वंश के राजा म0म0 महेश ठाकुर को सुपुर्द कर दिया था। इस वंश की जमींदारी 1870 से लेकर 1952 ई0 तक मिथिला पर रहा।