International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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मिथिला में रचित मध्यकालीन हिन्दी-वीर-काव्य
1 Author(s): VIRENDRA KUMAR YADAV
Vol - 8, Issue- 3 , Page(s) : 333 - 338 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
सामान्य रूप से हिन्दी साहित्य का मध्यकाल विक्रम संवत् 1375 से विक्रम संवत् 1900 तक माना जाता है। हिन्दी-सासहित्य के आदिकाल को सामान्यतया वीर-गाथाओं के वर्णन के लिए, पूर्व मध्यकाल को भक्ति-भावना के लिए, उŸार मध्यकाल को शृंगार वर्णन के लिए एवं आधुनिक काल को विविध गद्य-विधाओं के लिए ख्यात माना जाता है। मैथिल कोकिल महाकवि विद्यापति को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने आदिकाल और पूर्व मध्यकाल के संधि-स्थल का कवि मानते हुए उन्हें दोनों में से किसी एक काल में स्थान न देकर फुटकल खाते में रखा है।