( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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व्याकरण और निरुक्त में शाब्दिक और आर्थिक चिन्तन का भेद

    1 Author(s):  PARSHANT

Vol -  5, Issue- 2 ,         Page(s) : 79 - 84  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

ज्ञानराशि वेद के अर्थज्ञान करने के लिए पाणिनीय व्याकरण तथा यास्कीय निरुक्त ज्योतिष्मान्‌ सूर्य की भांति यथावत्‌ प्रकाशित हैं। इनमें महर्षि पाणिनि जहां वैदिक तथा लौकिक दोनों प्रकार के शब्दों की विवेचना करते हैं वहां आचार्य यास्क की दृष्टि प्राधान्यत: वैदिक शब्दों के विवेचन पर केन्द्रित है। पाणिनि और यास्क की शब्द-चिन्तन प्रणालियों मंे कतिपय सूक्ष्म विशेषताएं दृष्टिगोचर होती हैं

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