International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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श्रीमद्भगवद्गीता - एक सार्वभौमिक ग्रन्थ
1 Author(s): DR. SUCHI AGARWAL
Vol - 13, Issue- 1 , Page(s) : 166 - 174 (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भूमण्डलीकरण का तात्पर्य है समस्त भूमण्डल को एक देश, एक समूह या एक कुटुम्ब के समान मानना तथा व्यवहार करना। ‘भूमण्डलीकरण’ शब्द को स्पष्ट करते हुए संस्कृत साहित्य में अनेकों वर्षों पूर्व एक सूक्ति कही गई - ‘वसुधैव कुटुम्बकम्।’1 जिसका तात्पर्य है सारी पृथ्वी ही एक कुटुम्ब के समान है। ऐसा मानने वाले लोगों को उदार चित्त वाला बताया गया है। भारतीय संस्कृति सदैव से ही उदार रही है तथा विश्व में प्राप्त होने वाली सभी सभ्यताएँ एवं संस्कृतियाँ किसी न किसी रूप में भारतीय संस्कृति तथा साहित्य से सम्बन्धित या प्रभावित रही हैं - विशेष रूप से संस्कृत साहित्य से।