( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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राजेश जोशी जी के काव्य में नारी के प्रति चिंतन

    1 Author(s):  RICHA VAGHELA

Vol -  13, Issue- 4 ,         Page(s) : 57 - 61  (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

भारतीय समाज में नारी शाक्ति का बहुत महत्व है। अर्द्ध नारीश्वर के स्वरूप में इसी भारतीय चिंतन की अवधारणा मिलती है। नारी और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं और एक दूसरे के बिना अधूरे भी हैं। मध्यकाल में जब भारत पर आतातायी हमले हुए और नारियों को जबरदस्ती उठा कर उनकी इच्छा के विरूद्ध तत्कालीन सत्ताधारियों ने उनका धर्मपरिवर्तन किया तथा नारी को कुदृष्टि से देखा जाने लगा तब से समाज में नारी की स्थिति का अत्यधिक पतन प्रारंभ हो गया फलतः भारतीय नारी दयनीय स्थिति में पहुँच गई। स्वतंत्रता के बाद नारी का उत्थान तेजी से हुआ और वर्तमान समय में नारी का स्थान अंतरिक्ष तक पहुँच चुका है।

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