( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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निर्गुण और सगुण द्वंद्व एवं अंत:संबंध

    1 Author(s):  DR. PURAN CHAND

Vol -  13, Issue- 5 ,         Page(s) : 148 - 156  (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

भक्तिकाव्य का प्रत्येक कवि अपनी अलग सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषता लिए हुए है। अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आए कवियों की रचनाएँ स्वाभाविक तौर पर भिन्नता को प्रदर्शित करती है। किन्तु भक्ति-साहित्य के आलोचनात्मक अध्ययन की सबसे प्रमुख कसौटी, जो आज नए अर्थों और नई व्याख्याओं के लिए अवसर दे रही है,

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