( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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संत मलूकदास के साहित्य में राम

    1 Author(s):  SAPNA

Vol -  13, Issue- 5 ,         Page(s) : 267 - 272  (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

हिंदी साहित्य के भक्तिकाल में दो धाराएँ प्रवाहित हुई – निर्गुण और सगुण। निर्गुण और सगुण उपासना के विषय में आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी जी ने कहा है – ‘सगुण उपासना ने पौराणिक अवतारों को केंद्र बनाया और निर्गुण उपासना ने योगियों अर्थात नाथपंथी साधनों के निर्गुण परब्रह्म। पहली साधना ने हिंदू जाति के बाह्यचार की शुष्कता को आंतरिक प्रेम में खिंचकर रसमय बनाया और दूसरी साधना ने बाह्यचार की शुष्कता को ही दूर करने का प्रयत्न किया। एक ने समझौते का रास्ता लिया, दूसरी ने विद्रोह का।

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