International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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स्वयं प्रकाश की कहानियों में जनवादी चेतना
2 Author(s): DR. ABHISHEK KUMAR PATEL,SMT. BHARTI BHONSLE
Vol - 13, Issue- 5 , Page(s) : 386 - 389 (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
हिन्दी साहित्य के इतिहास में जितने भी दौर चले सभी किसी न किसी विचारधारा या प्रवृत्ति से प्रभावित रहे। आदिकाल से लेकर वर्तमान काल तक जितने भी साहित्य सृजनकर्ता रहे हैं वे भी किसी न किसी विचारधारा से अनुप्राणित रहे है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्रत्येक रचनाकार का वैचारिक धरातल तय करने में देशकाल एवं वातावरण की भूमिका प्रमुख होती है। नई कहानी एवं साठोत्तरी कहानी आंदोलनों की रचनात्मक सफलता ने एक के बाद एक लगातार कहानी आंदोलनों का सिलसिला चला दिया।