( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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वर्तमान में वेदों की प्रासंगिकता

    1 Author(s):  SITAKANTA NAIK

Vol -  5, Issue- 2 ,         Page(s) : 761 - 768  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

आज भारत जब विकास के मार्ग पर इतना अग्रसर हो चुका है कि उसकी गिनती विश्व के महाशक्तियों की श्रेणी में होने लगी है तब भी वेदों में ऐसा क्या है, जिसे हम आज भी आवश्यक समझते हैं, पढ़ने पर जोर देते हैं। वेदों की इन बातों पर यहाँ दृष्टिपात करते हैं-

  1.   मनुस्मृति- 2.6 
  2.   मनुस्मृति- 2.7  
  3.   मनुस्मृति- 2.13  
  4.   महाभाष्य पस्पशार्ििंक 
  5.   मनुस्मृति- 2.166  
  6.   मनुस्मृति- 2.168  
  7.   मनुस्मृति- 1.21 
  8.   वैदिक वाघ्मय में राष्ट्रीय एकता एवम् अखण्डता-डाॅ. अन्नपूर्णा मिश्रा, पृ. 59 
  9.   यजुर्वेद, अध्याय-30, मंत्रा-5 से 22 
  10.   डाॅ. कपिलदेव द्विवेदी कृत अथर्ववेद का सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 158-178  
  11.   यजुर्वेद 30.5 
  12.   वैशेषिक सूत्रा 1.1.3 
  13.   न्यायवार्तिक तात्पर्यटीका 
  14.   कठोपनिषद्- 2.1.11 
  15.   अथर्ववेद 9.3.19 
  16.   ट्टग्वेद 3.61.4 
  17.   वैदिक वाघ्मय में राष्ट्रीय एकता एवम् अखण्डता, डाॅ. अन्नपूर्णा मिश्रा, पृ. 61 
  18.   अथर्ववेद 3.4.2 
  19.   यजुर्वेद 9.23 
  20.   अथर्ववेद- 7.12.1 
  21.   यजुर्वेद 19.75 
  22.   डाॅ. वी.के. वर्मा, वैदिक सृष्टि-उत्पत्ति-रहस्य ;दो भागद्ध विलासपुर 
  23.   शतपथ ब्राह्मण- 11.5.6.3 से 7  
  24.   स्वामी दयानन्द सरस्वतीकृत- ‘ट्टग्वेदादिभाष्यभूमिका’ ग्रन्थ। 

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