( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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‘रामचरितमानस’ भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक व्यवस्था का आधार

    1 Author(s):  DR. MANOJ KUMAR KAIN

Vol -  8, Issue- 11 ,         Page(s) : 292 - 299  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

चिंतन की आधुनिक अवधारणा के अनुसार सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याओं को पहले-पहल संपूर्णता में समझने वाला वर्ग ‘साहित्यकार’ होता है। साहित्यकार ही सामाजिक परिवर्तनों और समस्याओं को उद्घाटित करता है। इसके कारण-कार्य को स्पष्टता से ललित रूप में रूपायित करता है और अपनी‘कल्पनाजीविता’ के बल पर दूरअंदेशी दृष्टि द्वारा मानव-कल्याणकारी भविष्यका मार्ग प्रशस्त करता है।

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