( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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सामाजिक चेतना के स्त्रोत: संत साहित्य

    1 Author(s):  MANISH KUMAR KURREY

Vol -  14, Issue- 3 ,         Page(s) : 446 - 452  (2023 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

उत्तर भारत में भक्ति आन्दोलन के मध्य दो धाराएँ प्रवाहित हुई - निगुर्ण काव्य धारा और सगुण काव्य धारा। अब सगुण काव्य धारा में भी दो शाखाएँ हुई - रामाश्रयी और कृष्णाश्रयी। काव्य की दूसरी धारा निगुर्ण ज्ञानाश्रयी थी। जिसे समकालीन संतों ने अपनी वाणियों में प्रवाहित किया।

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