( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 39    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

कुड़मालि काव्य में अलंकारों का प्रयोग

    1 Author(s):  DR. SHAILESH KUMAR MAHTO

Vol -  15, Issue- 4 ,         Page(s) : 123 - 126  (2024 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

मानव समाज सौंदर्योपासक है उसकी इस प्रवृत्ति ने ही अलंकारों को जन्म दिया है। शरीर की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए जिस प्रकार मनुष्य ने भिन्न-भिन्न प्रकार के आभूषणों का प्रयोग किया, उसी प्रकार उसने भाषा को सुन्दर बनाने के लिए अलंकारों की रचना की ।

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details