( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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नई कहानी आन्दोलन के सन्दर्भ में शेखर जोशी की कहानी

    1 Author(s):  ANKITA BORA

Vol -  5, Issue- 7 ,         Page(s) : 306 - 309  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

आन्दोलन साहित्य की पृष्ठभूमि तैयार करता है। साथ ही साहित्य को विकास की ओर अग्रसर करता है। हिन्दी साहित्य का उद्भव देखें तो आन्दोलन की परम्परा शुरूआत से दिखाई पड़ती है। भक्ति आन्दोलन हिन्दी साहित्य का प्रखर आन्दोलन रहा है। वहीं खड़ी बोली व गद्य साहित्य का उद्भव किसी आन्दोलन से कम नहीं था, श्किन्तु हिन्दी कहानी में ष्नई कहानी आन्दोलनष् से पूर्व कोई आन्दोलन परिलक्षित नहीं होता। 1936 में प्रगतिशील आन्दोलन अवश्य हुआ था, किन्तु उसे हिन्दी कहानी विधा का आन्दोलन नहीं माना जा सकता क्योंकि प्रगतिशील आन्दोलन तो एक व्यापक आन्दोलन था, दृष्टि का आन्दोलन था-किसी विधा विशेष का आन्दोलन नहीं।श्1

1. रजनीश कुमार - हिन्दी कहानी के आन्दोलनःउपलब्धियाँ और सीमायें, पृष्ठ संख्या- 05
2. वही, पृष्ठ संख्या -06
3. राजेन्द्र यादव - कहानी अनुभव और अभिव्यक्ति, पृष्ठ संख्या- 46 
4. नामवर सिंह - कहानी: नई कहानी, पृष्ठ संख्या - 43
5. वही, पृष्ठ संख्या- 103 
6. रजनीश कुमार - हिन्दी कहानी के आन्दोलनः उपलब्धियाँ और सीमायें, पृष्ठ संख्या-37
7. गोपालराय - हिन्दी कहानी का इतिहास (भाग-2), पृष्ठ संख्या-100
8. श्री सुरेन्द्र- नई कहानीः प्रकृति और पाठ, पृष्ठ संख्या-100
9. संतोष कुमार चतुर्वेदी - अनहद पत्रिका,पृष्ठ संख्या-272
10. परमानन्द श्रीवास्तव - कहानी की रचना प्रक्रिया, पृष्ठ संख्या-239
11.  शेखर जोशी - आदमी का डर, पृष्ठ संख्या-33
12. शेखर जोशी - संकलित कहानियाँ, पृष्ठ संख्या-103
13. वही, पृष्ठ संख्या -7

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