( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 131    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

सिंधु घाटी सभ्यता के बाद नगरों की निरंतरता न रहने के कारण: एक नवीन अवधारणा

    1 Author(s):  MUHAMMAD AMIR

Vol -  5, Issue- 10 ,         Page(s) : 89 - 97  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

सिंधु घाटी सभ्यता का पतन लगभग 1800 इ्र्रसा पूर्व तक हुआ माना जाता है । नगरों की उपस्थिति सिंधु घाटी सभ्यता की एक विलक्षण विषेशता है , जो इस सभ्यता को एक महत्वपूर्ण सभ्यता के रूप में स्थापित करती है । भारत में इतने प्राचीन काल में किसी अन्य नगरीय सभ्यता का कोई प्रमाण नही मिलता । इतना ही नही सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर नियोजित नगरों के स्वरूप को प्रदर्षित करते हैं । इन नगरों के निर्माण में सिविल इंजीनियरिंग का बेहतरीन प्रयोग देखने को मिला है । इन कारणों से ही ये प्राचीन नगर आष्चर्य का विशय बन गए हंर । सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बाद इस सभ्यता की अन्य विशेषताओं की निरन्तरता तो किसी न किसी रूप में बनी रही लेकिन नगर और नगरीय अर्थव्यवस्था से सम्बद्ध कार्यकलापों की निरन्तरता समाप्त हो गई । भारत में लगभग 600 ईसा पूर्व में पुनः द्वितीय नगरीकरण के प्रमाण मिलते हैं । नगरों की निरन्तरता क्यों बनी न रह सकी ? यह अपने आप में एक बड़ा प्रष्न है । इस सम्बंध में विद्धानों में एक मत का अभाव है । इस प्रष्न के अनेक उत्तर दिए जाते हैं जैसे सभ्यता का अकस्मात नश्ट हो जाना, व्यापार-वाणिज्य का पतन , अर्थव्यवस्था का नगरीकरण हेतु असमर्थ हो जाना इत्यादि । उत्तरों के इसी क्रम में तर्क-वितर्क के माध्यम से एक नयी “शुभ- अशुभ की अवधारणा” उभरकर सामने आती है ।

1. झा,द्विजेंद्र नारायण और श्रीमाली, कृश्ण मोहन(2000). प्राचीन भारत का इतिहास (पृ.98). दिल्ली: हिंदी माध्यम कार्यान्यवय निदेषालय , दिल्ली विष्वविद्यालय.
2. गुप्त, षिवकुमार (1999). प्राचीन भारत का इतिहास (पृ. 3 ). जयपुर: पंचषील प्रकाषन.
3. पाण्ड़ेय, राजबली (2000). प्राचीन भारत (पृ.  ). वाराणसी: विष्वविद्यालय प्रकाषन.
4. , 4.1 गुप्त, षिवकुमार (1999). प्राचीन भारत का इतिहास (पृ. 4 , पृ. 24-25). जयपुर: पंचषील प्रकाषन.
5. विद्यालंकार, सत्यकेतु (2000). प्राचीन भारत (पृ. 58-59 ). नई दिल्ली: श्री सरस्वती सदन.
6. , 6.1 गुप्त, षिवकुमार (1999). प्राचीन भारत का इतिहास (पृ. 7 , पृ. 33-34 ). जयपुर: पंचषील प्रकाषन.
7. , 7.1, 7.2, 7.3,  इग्नु (1991). ई एच आई-02, हड़प्पा की सभ्यता (पृ. 66 ,पृ. 68 , पृ. 69 , पृ. 70 ). नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राश्ट्रीय मुक्त विष्वविद्यालय.
8. त्रिपाठी, रमाषंकर (1998). प्राचीन भारत का इतिहास (पृ. 17-18 ). दिल्ली: मोतीलाल बनारसी दास.
9. महाजन, वी.ड़ी (2000). प्राचीन भारत का इतिहास (पृ. 70 ). नई दिल्ली: एस. चन्द एण्ड़ कम्पनी लि.
10. इग्नु (1993). ई एच आई-02, भारत: छठी से चैथी षताब्दी ई.पू. तक (पृ. 21 ). नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राश्ट्रीय मुक्त विष्वविद्यालय.
 

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details