International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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मोहन राकेष के नाटकों में सामाजिक चेतना
2 Author(s): DR. ARCHANA JHA , SMT. MAMTA SHARMA
Vol - 5, Issue- 10 , Page(s) : 153 - 157 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
प्रत्येक मनुष्य समाज में जन्म लेता है और वही से विभिन्न संस्कारों, रीति रिवाजों, पराम्पराओं आदि को ग्रहण कर बड़ा होता है इस तरह से मनुष्य समाज का आजीवन सदस्य बन जाता है अर्थात् सभी मनुष्य कुछ अंष तक समान होते हैं और कुछ अपने तरह के अकेेले व्यक्ति होते हैं, एवं अपनी अलग पहचान बना लेते हैं।