प्रच्छन्न-युद्ध अप्रत्यक्ष उपायों का एक संघर्श एवं पाकिस्तान
1
Author(s):
DR. ARVIND KUMAR SINGH
Vol - 5, Issue- 12 ,
Page(s) : 74 - 86
(2014 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
सम्प्रति, युद्धभूमि में तृतीय पक्ष के प्रयोग की रणनीति कोई नवीन घटना नहीं है। संघर्श की विविध घटनाओं का ऐतिहासिक अवलोकन करने पर ऐसे कई उदाहरण मिलते है, जब राज्यों द्वारा भृतक सैनिकों का प्रयोग किया गया एवं विरोधियों से संघर्श हेतु अन्य देषों की सेवाएं ली गयीं। हालांकि युद्ध की इस विधा को महाषक्तियों की षीतकालीन प्रतिस्पर्धा से रणनीतिक आयाम मिला। षीतकालीन प्रतिस्पर्धात्मक परिवेष में तृतीय पक्ष को प्रयुक्त करने के पाष्र्व में, महाषक्तियों के प्रत्यक्ष संघर्श के दृश्टिगत, सम्पूर्ण विध्वंष की आषंकाजन्य धारणा निहित थी। एक तरफ, वैष्विक पटल पर, अपने प्रभाव क्षेत्र विस्तार के दृश्टिगत, मित्र राश्ट्रों को सुरक्षा तथा समर्थन देने की महाषक्तियों की रणनीति ने प्रच्छन्न्ा-युद्ध पद्धति को स्थापित किया तो दूसरी तरफ, दुर्बल राश्ट्रों ने भी अपने सबल प्रतिद्वन्दियों को कमजोर कर उन्हें परास्त करने की रणनीति के रूप में इसे प्रयुक्त किया। षीतयुद्ध की समाप्ति पर, प्रत्याषा के अनुरूप ये विसंगतियां समाप्त नहीं हुई हैं। आज प्रच्छन्न्ा-युद्ध न केवल दुर्बल राश्ट्रों की स्त्रातजी के रूप में स्थापित हुआ है बल्कि महाषक्ति अमेरिका भी इसे अपने रणनीतिक उपकरण के रूप में प्रयुक्त कर रहा है। अपने अभ्युदय के साथ ही पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध प्रच्छन्न्ा-युद्ध छेड़ रखा है। भारतीय उपमहाद्वीप में, प्रच्छन्न्ा-युद्ध को पाकिस्तान ने अपनी रक्षा एवं विदेष नीति का अंग बना लिया है। पाक प्रायोजित प्रच्छन्न्ा-युद्ध के समुचित प्रतिकार के लिए भारत को एक सुविचारित, दीर्घकालिक रणनीति सृजित करनी होगी।
- Louis J. Halle, “Does War Have a Future?”, Foreign Affairs, vol. 52, (1973-74), no. 1, p.33 (20-34).
- Ashok Krishna, “Low Intensity Conflict: Future Trends”, Strategic Analysis, (New Delhi), vol. XIX no. 4, July 1996, p. 640.
- V.K.Sood, “Low-Intensity Conflict: The Source of Third World Instability”, Studies in Conflict & Terrorism, (Washington), vol. XV, no. 4, Oct.-Dec. 1992, p. 234.
- Ruth Leger Sivard, World Military & Social Expenditure 1987-88, 12th ed., (New York 1987), pp. 28-31.
- Brian M. Jenkins, “High Technology Terrorism & Surrogate Warfare: Impact of New Technology on Low Level Violence”, Rand Paper Series, (Santa Monika, California), no. P-5339, Jan. 1975, p. 21
- See “Oxford Dictionary” (http://www.oxforddictionaries.com/definition/english/proxy-war.) see also “English Dictionary” (http://www.oxforddictionaries.com/definition/american_english/proxy-war.) and “Dictionary.Com” (http://dictionary.reference.com/browse/proxy+war.) and see “Vocabulary.com” (http://www.vicabulary.com/dictionary/proxy%20war.)
- Noemi Gal-Or, International Co-operation to Suppression Terrorism, (London1985), p. 62.
- Nand Kishore, International Terrorism: A New Kind of Conflict, (New Delhi, 1989), pp. 161-162.
- हिन्दुस्तान (लखनऊ), 01 अक्तूबर 2014.
- http://en.wikipedia.org/wiki/List-of-proxy-wars
- इगोर ब्लिष्चेंको, निकोलाय भदानोव ;हिंदी संस्करणद्ध, आतंकवाद और अन्तर्राश्ट्रीय कानून, ;जयपुर, 1989द्ध, पृ0 131-160.
- मेजर जनरल विनोद सहगल, अन्तरराश्टीय आतंकवाद, (दिल्ली, 2011), पृ0 164.
- सी. उदय भाश्कर, ’’जिहादी विचारधारा के विशबीज’’ दैनिक जागरण (लखनऊ), 11 सितम्बर 2014.
- मेजर जनरल विनोद सहगल, तदैव-12, पृ0सं0 19-23 व 37-38. एवं अरुण तिवारी, (आदि), मुस्लिम आतंकवाद बनाम अमेरिका ;नयी दिल्ली, 2006द्ध, पृ.-43 व 163
- यू.आर.घई, के.के.घई, अन्तर्राश्ट्रीय राजनीति: सिद्धान्त और व्यवहार, (जालंधर, 2012), पृ0 446.
|