International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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पण्डित हीरालाल शास्त्री लेखक कवि व गीतकार के रूप में
1 Author(s): RANJEETA JANA
Vol - 5, Issue- 12 , Page(s) : 131 - 137 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
पण्डित हीरालाल शास्त्री का व्यक्तित्व समष्टि के लिए था, जब भी व्यक्ति व्यष्टि से समष्टि की और अग्रसर होता है तो उसके विचार,कार्य,दायित्व आदि का क्षैत्र भी विस्तृत हो जाता है। ऐसी स्थिति में एक सीमित स्थान पर रहते हुए भी अपने विचारों एवं भावनाओं का सम्प्रेषण वह पत्रों,लेखांे एवं भाषण आदि के माध्यम से करता है। व्यक्ति डायरी भी आत्मनिरीक्षण एवं विभिन्न तथ्यो के स्मरण हेतु लिखता है, लेकिन सार्वजनिक व्यक्तित्व की डायरियाँ भी व्यक्तित्व हित की सम्पादिका न होकर सर्वजनीन समष्टिगत हित को सम्पादित होने से, महत्वपूर्ण दस्तावेजो का रूप ले लेती है।