‘‘राष्ट्रीयता के परिप्रेक्ष्य में नारी शिक्षा‘‘ पर महर्षि दयानंद सरस्वती के विचार
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Author(s):
RAJESH BABU
Vol - 6, Issue- 1 ,
Page(s) : 242 - 253
(2015 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
प्राचीन वैदिक युग में स्त्रियों की स्थिति प्रायः पुरुषों के समान होती थी। मौर्य युग तथा उसके पश्चात् के काल में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में गिरावट आने लगी थी। कालान्तर में स्त्रियों की स्थिति निरन्तर हीन होती गई और आधुनिक काल (19वीं सदी के मध्य) तक आते-आते स्त्रियों की स्थिति दयनीय हो चुकी थी।1 नारियों की स्थिति में सुधार के लिए नारियों का शिक्षित होना नितान्त आवश्यक है। स्वामी जी के विचारानुसार यदि नारियाँ शिक्षित होंगी तभी उस परिवार, समाज व राष्ट्र की उन्नति संभव हो सकेगी। इस उपलक्ष्य में ‘राष्ट्रीयता के परिप्रेक्ष्य में नारी शिक्षा‘ पर स्वामी जी के विचारों पर प्रकाश डालना उपयोगी होगा।
- 1. विद्यालंकार, सत्यकेतु तथा वेदालंकार, हरिदत्त; आर्यसमाज का इतिहास (प्रथम भाग), आर्य स्वाध्याय केन्द्र, नयी दिल्ली-29, पृष्ठ - (458-460)
- 2. स्वामी दयानंद सरस्वती; ‘‘सत्यार्थप्रकाश‘‘, स्वमन्त्यवय प्रकाश, वैदिक यंत्रालय, अजमेर, 1967, पृ. 407
- 3. महर्षि दयानंद सरस्वती; दयानंद लघुग्रंथ-संग्रह (व्यवहारभानु), दिल्ली, पृष्ठ-105
- 4. महर्षि दयानंद सरस्वती; दयानंद लघुग्रंथ-संग्रह (व्यवहारभानु), दिल्ली, पृष्ठ-105
- 5. स्वामी दयानंद सरस्वती; ‘सत्यार्थप्रकाश‘, दिल्ली- 31, पृ. 65
- 6. वही, 1/140/8, मन्त्र का भावार्थ
- 7. यजुर्वेद भाष्य 20/85
- 8. यजुर्वेद भाष्य 20/86
- 9. ऋग्वेद भाष्य 20/86
- 10. स्वामी दयानंद सरस्वती; ‘सत्यार्थप्रकाश‘, दिल्ली- 31, पृ. 67
- 11. यजुर्वेद भाष्य, महर्षि दयानंद संस्थान, दिल्ली, भाग-2, 10/6, भावार्थ
- 12. वही, 10/8 भावार्थ
- 13. वही, 2, 17.9 मंत्र का भावार्थ
- 14. स्वामी दयानंद सरस्वती; ‘सत्यार्थप्रकाश‘, दिल्ली- 31, पृष्ठ-37
- 15. महर्षि दयानंद; यजुर्वेद भाष्य, दयानंद संस्थान, दिल्ली, 12.45, भावार्थ
- 16. महर्षि दयानंद; उपदेश मंजरी, आर्ष साहित्य, प्रचार ट्रस्ट, दिल्ली, 3/13
- 17. महर्षि दयानंद; उपदेश मंजरी, आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट, दिल्ली, 7/51
- 18. महर्षि दयानंद; यजुर्वेद भाष्य, दयानंद संस्थान, दिल्ली, 37/20, भावार्थ
- 19. वही, 1/113/11 भावार्थ
- 20. महर्षि दयानंद; ऋग्वेद भाष्य, दयानंद संस्थान, दिल्ली, 8/31/8, भावार्थ
- 21. वही, 8/31/8 भावार्थ
- 22. यजुर्वेद भाष्य 13/16
- 23. वही, 23/40, भावार्थ
- 24. वही, 10/4, मन्त्रार्थ
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