( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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मौर्य काल में कृषि का तकनीकि विकास

    1 Author(s):  DR. ARUN KUMAR SRIVASTAVA

Vol -  6, Issue- 1 ,         Page(s) : 536 - 548  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

मौर्यकालीन साहित्यिक और पुरातात्विक साक्ष्य वस्तुतः कृषि के तकनीकि विकास को प्राचीन भारतीय इतिहास के अन्तर्गत स्पष्ट प्रमाणों के साथ प्रस्तुत करते हैं। प्राचीन भारत में मौर्य काल के दौरान राजनैतिक, प्रशासनिक और भौगोलिक विस्तार के साथ-साथ आर्थिक क्षेत्र के अन्तर्गत ’’वार्ता’’ के तीनों चरण (कृषि, पशुपालन, व्यापार) अपने विकसित स्वरूप में परिलक्षित होते हैं। कृषि के सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि यह अब तक विकास के चरम लक्ष्य को प्राप्त कर चुकी थी।

1. अच्छेलाल, प्राचीन भारत में कृषि, पृ.83; अष्टाध्यायी, 4.4.97, 5.2.119.  
2. ‘‘सीतया संगमतक्षेत्रम् सीत्यम्।’’ अष्टाध्यायी, 4.4.97.
3. अच्छेलाल, पूर्वेद्धत, पृ.185.
4. ‘‘सीता में ऋध्यतां देवी बीजेषु च धनेषु च।’’ अर्थषास्त्र, 2.24.23.
5. ‘‘सीतया संगमत क्षेत्रम् सीत्यम।’’ अष्टाध्यायी, 4.4.97.
6. आचार्य, दीपंकर, कौटिल्य कालीन भारत पृ.132.
7. ‘‘सीताध्यक्षः कृषितंत्र शुल्ब वृक्षयुर्वेदज्ञ स्तज्ष सखोवासर्वे धान्यपुष्पफल शाक कन्द मूल याल्लिकयक्षौम कार्यास बीजानि यथाकाले गृहणीयात्।’’ आचार्य, दीपंकर, पूर्वोद्धत, पृ132-33
8. मिश्र, श्याम मनोहर, प्राचीन भारत में आर्थि जीवन, पृ.11.
9. मैक्रिन्डल, मेगस्थनीज एण्ड एरियन, पृ.39.
10. वही, पृ.216.
11. मिश्र श्याम मनोहर, पूर्वोद्धत , पृ.11; अर्थषास्त्र, 6.1.
12. वहीः अर्थषास्त्र, 2.8.
13. ‘‘खनिधान्यभोगयोः खनिभोगः कोषकरः धान्यभोगः कोषकोष्ठागारकरं धान्यमूला हि दुर्गादीनां कर्मर्णामारंभाः ।’’, अर्थषास्त्र 7.11.
14. मिश्र, श्याम मनोहर, पूर्वोद्धत, पृ.12.
15. वही
16. वही; अर्थषास्त्र 2.1.
17. ‘प्रसूतम कलम-क्षेत्रम् वर्षेणेव शतक्रतुः।’’ रामायण, 4.14.16., एवं 
‘ग्रामान् विकृष्ट-सीमान्तान।’’ रामायण, 2.49.3.
18. मजमदार,, आर. सी., द क्लैसिकल एकाउन्टस आॅफ इण्डिया, पृ.250. 
19. सिकदार, जे.सी; स्टडीज इन भगवती सूत्राज, पृ.271
20. मजूमदार, आर. सी; पूर्वोद्धत, पृ.249.
21. अच्छेलाल, पूर्वोद्धत, पृ.88-89.
22. वही
23. गंगोपाध्याय, आर;एग्रीकल्चर एण्ड एग्रीकल्चरिस्ट इन ऐंषियन्ट इण्डिया, पृ.43-44.
24. राव, विजय बहादुर, उत्तर वैदिक समाज और संस्कृति, पृ.45.
25. बंद्योपाध्याय, एन, सी; इकनामिक लाइफ एण्ड प्रोगेस इन ऐंषियन्ट इण्डिया, पृ.114.
26. अच्छेलाल, पूर्वोद्धत, पृ.91; अर्थषास़्, 2.2.34.
27. मजूमदार, आर. सी; पूर्वोद्धत, पृ.2.
28. घोषाल, यू.एन;पूर्वोद्ध, पृ.2.
29. ‘‘सत्वं वनं छिदित्वा खेत्ताणि कारित्वां कसिकम्भं करन्सु’’, जातक, 2,358.
30. शर्मा, आर. एस., लाइट आन अर्ली इण्डियन सोसाइट एण्ड इकनाॅमी, पृ.61.
31. अग्रवाल, वासुदेव शरण, पाणिनि कालीन भारतवर्ष, पृ.198-99.
32. वही, पृ.201.
33. शर्मा, आर.एस;पूर्वोद्धत, पृ.63-64.
34. मिश्र, श्याम मनोहर, पूर्वोद्धत, पृ.13.

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