International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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उपनिषदों में वर्णित नैतिक शिक्षा की उपादेयता: वर्तमान शिक्षा प्रणाली के विशेष संदर्भ में
1 Author(s): SAVITRI
Vol - 6, Issue- 4 , Page(s) : 265 - 272 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
भारतीय तत्त्वज्ञान तथा धर्म-सिद्धांतो के मूल स्रोत होने का गौरव उपनिषदोंको ही प्राप्त है। वैदिक धर्म की मूल तत्त्व प्रतिपादिका प्रस्थानत्रयी में भी मुख्य उपनिषद ही है। सत्रहवें दशक में ‘दाराशिकोह’ ने तथा उन्नीसवें दशक में जर्मन दार्शनिक शोपेनहावर तथा महाकवि गेटे ने अपने-अपने ग्रन्थों में इनकी प्रशंसा करते हुए इन्हें तात्विक विचारों का मूल आश्रय बताया है। वैदिक सूक्तों में वर्णित दार्शनिक प्रवृत्तियों का ही उपनिषदों में विकास हुआ है। वैदिक ऋषियों ने अन्वेषण और जिज्ञासा से पूर्ण जिस मार्ग का सूत्रपात किया, जगत के विषय में वही अनादि जिज्ञासा इन उपनिषदों में प्रतिबिम्बित होती है।