International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
कामकाजी महिलाओं के लिए हमारे समाज में सामने आने वाली चुनौतियों
1 Author(s): DR. NEETU
Vol - 6, Issue- 4 , Page(s) : 507 - 511 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
तमाम मुश्किलों और चुनौतियों के बाद भी देश, समाज और फॉर-प्रॉफिट कंपनियों को कामकाजी महिलाओं की इतनी ज़रूरत क्यों है कि वे इसके लिए अपनी नीतियां तक बदल रही हैं? हर रोज़ आधे दिन के ख़त्म होते-होते ही हिम्मत और ताक़त जवाब देने लगती है. गृहस्थी के काम और ज़िम्मेदारियां सुरसा का मुंह हैं. आप चाहे हनुमान की तरह अपनी शक्तियों और आकार को कितना भी बढ़ाते चले जाएं, काम का आकार उसी अनुपात में बढ़ता चला जाता है. उस पर अगर आपको अपना करियर बचाने का फ़ितूर चढ़ा है तो फिर करेला नीम चढ़ा समझिए. फिर घर और दफ़्तर के बीच की दुनिया में सागर नहीं, अनंत महासागर बसता है. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि आप किसी देश की महिलाओं की स्थिति को देखकर उस राष्ट्र की परिस्थितियों का अनुमान लगा सकते हैं। उनकी यह बात काफी हद तक सही भी लगती है। कामकाजी मांओं को अपने साथ बनाए रखने के लिए सिटी बैंक ने घोषणा की है कि सैलरी के साथ-साथ एक लाख बत्तीस हजार रुपए का चाइल्डकेयर अलाउंस मांओं को दिया जाएगा