( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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महिलाओं के आर्थिक विकास में स्वसहायता समूह की भूमिका

    2 Author(s):  SMT. RAJNI KHARE , SHRI. RAJESH SHRIVASTAVA

Vol -  6, Issue- 4 ,         Page(s) : 498 - 506  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

एक देष का विकास ग्रामीण विकास के निकट होता है जिस देष की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत व स्थिर होती है उसकी संपूर्ण अर्थव्यवस्था भी मजबूत व स्थिर होती है। किन्तु विकासषील देषों में गरीबी एक दुष्चक्र है जो पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। इससे उबरने के लिए भारत सरकार द्वारा 1999 में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना लागू की गई ताकि इसके अंतर्गत निर्धनों को संगठित कर उनकी क्षमताओं को व्यवस्थित रूप से बढ़ाया जाये।

  1. अरोड़ा आर सी (1990) ‘‘एकीकृत ग्रामीण विकास’’ एक चांद एंड कंपनी नई दिल्ली।
  2. जैन भागचन्द्र (2009)- समूह की शक्ति से पाये सफलता उद्यिमता समाचार पत्र17 (11)
  3. जैन भागचन्द्र (2003)- स्वसहायता समूह में निहित है सहकारिता की भावना द को आपरेटर 40 (11)487-488
  4. जैन भागचन्द्र (2003) स्वसहायता समूह के स्वालम्बन में बैंको का योगदान बैंक जर्नल (2) 87-91
  5. जैन भागचन्द्र (2003) - स्वसहायता समूह में प्रबंधक प्राकृतिक संसाधन रायपुर छत्तीसगढ इंदिरा गांधी  कृषि विष्वविद्यालय रायपुर में पी.एच.डी. शोध ग्रथं 

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