( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 252    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

संस्कृत साहित्य और भारतीय संस्कृति का प्रचार

    1 Author(s):  DR. SHIXA

Vol -  6, Issue- 5 ,         Page(s) : 353 - 358  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

ऋग्वेदकाल से लेकर आज तक संस्कृत भाषा के माध्यम से सभी प्रकार के वाङ्मय का निर्माण होता आ रहा है। हिमालय से लेकर कन्याकुमारी के छोर तक किसी न किसी रूप में संस्कृत का अध्ययन अध्यापन अब तक होता चल रहा है। भारतीय संस्कृति और विचारधारा का माध्यम होकर भी यह भाषा अनेक दृष्टियों से धर्मनिरपेक्ष (सेक्यूलर) रही है। इस भाषा में धार्मिक, साहित्यिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी (ह्यूमैनिटी) आदि प्राय: समस्त प्रकार के वाङ्मय की रचना हुई। संस्कृत भाषा का साहित्य अनेक अमूल्य ग्रंथरत्नों का सागर है, इतना समृद्ध साहित्य किसी भी दूसरी प्राचीन भाषा का नहीं है और न ही किसी अन्य भाषा की परम्परा अविच्छिन्न प्रवाह के रूप में इतने दीर्घ काल तक रहने पाई है। अति प्राचीन होने पर भी इस भाषा की सृजन-शक्ति कुण्ठित नहीं हुई, इसका धातुपाठ नित्य नये शब्दों को गढ़ने में समर्थ रहा है।

  1. विकिस्रोत संस्कृत
  2. संस्कृत के अनेकानेक ग्रन्थए देवनागरी में
  3. वैदिक साहित्य रू महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय . पी डी एफ़ प्रारूपए देवनागरी
  4. गौडीय ग्रन्थ.मन्दिर पर सहस्रों संस्कृत ग्रन्थए बलराम इनकोडिंग में
  5. सहस्रों संस्कृत ग्रन्थए अनेक स्रोतों सेए अनेक इनकोडिंग में

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details