गिरिमिटिआ श्रमिक प्रणाली: एक परिचय
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Author(s):
AMIT KUMAR SAINI
Vol - 6, Issue- 12 ,
Page(s) : 24 - 29
(2015 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
1834 ई0 में दास प्रथा के समाप्त होने के बाद बागान मालिको के सामने श्रमिको की कठिन समस्या उत्पन्न हो गयी थी। जिस कारण भारत से गिरिमिटिआ श्रमिको अर्थात बन्धुआ श्रमिको पर उत्प्रवास करवाया गया। लाखो की संख्या मे इन श्रमिको का गन्ना कालोनियो मे उत्प्रवास करवाया गया था। इन श्रमिको के साथ दासो के समान व्यवहार होता था। भारत से गन्ना कालोनियो तक पहुॅचने या उसके बाद भी इन श्रमिको को कठिन समस्याओ से गुजरना होता था। इन श्रमिको से अधिक से अधिक कार्य लिया जाता था। इस प्रकार की अनेक समस्याओ से त्रस्त होने के कारण इन्होने इस श्रमिक प्रणाली से छुटकारा पाना चाहा परन्तु वह अपने आप को मुक्त कराने मे असफल रहे। बाद के वर्षो मे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसवादियो ने इस मुद्दे पर काफी जोर दिया जिस कारण यह श्रमिक प्रणाली 1920ई0 मे समाप्त हो गयी।
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