International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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शारीरिक शिक्षा पाठ्यक्रम का विद्यार्थियों पर भावात्मक प्रभाव
1 Author(s): ANITA
Vol - 6, Issue- 11 , Page(s) : 73 - 79 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
मानव जीवन की सुन्दरता एवं लक्ष्य की पूर्ति में जिन साधनों की आवश्यकता है उनमें शिक्षा प्रमुख है। शिक्षा मानव समाज की आधार शिला है यह समाज का निर्माण करती है उसमें परिवर्तन करती है। बालक में सभी प्रकार की बौद्धिक शारीरिक एवं मानसिक क्षमताऐं रुचियाँ वृत्तियों एवं योग्यताएँ उसी प्रकार विद्यमान रहती है जिस प्रकार कोयले में उर्जा छिपी रहती है। कोयले को जब तक न जलाया जाए तब तक इंजन को शक्ति नहीं मिलती और इंजन गतिमान नहीं होता। इसी प्रकार शिशु में छिपी योग्यताओं को प्रतिभा, रुचियों एवं वृत्तियों का उसके निजी आवश्यकताओं एवं समाज की मान्यताओं, मर्यादाओं तथा अपेक्षाओं के अनुसार यदि विकसित नहीं किया जाता तो उसकी जीवन की गाड़ी नहीं चल पाती। यदि बालक रुपी पत्थर के कोयले में सिमटी हुई शक्ति रुपी ऊर्जा को उचित दिशा नहीं दी जाती तो जीवन रुपी गाड़ी चलने के बजाय मार्ग का रोड़ा बन जाती हैं।