( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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महिला अधिकारों की अवधारणा, अर्थ और विभिन्न नारीवादी सिद्धांतों का ऐतिहासिक विश्लेषण: भारतीय संदर्भ में अध्ययन

    2 Author(s):  MOHINI CHAUDHARY , DR. RAVINDRA SHARMA

Vol -  6, Issue- 11 ,         Page(s) : 91 - 97  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

दुनिया की आधी आबादी के लिए यह सबसे बड़ा दिन कहा जा सकता है, जब संयुक्त राष्ट्रमें 1981 में सीडाॅ यानी कन्वेंशन आॅन दी एलिमिनेशन आॅफ आल फाॅम्र्स डिसक्रिमिनेशन अंगेस्ट वूमेन, बमंकंू अर्थात् महिलाओं के विरूद्ध सभी प्रकार के भेदभाव हटाने के लिए संविदा लागू हुई। इसके बाद महिलाओं के अधिकारों में निरन्तर वृद्धि होती रही। भारतीय समाज में पुत्र व पुत्रियों के बीच भेदभाव समाज में प्रारंभ से ही दृष्टिगोचर होने लगता है। लेकिन समय के साथ पुरूषों की सोच के साथ महिलाओं के सोच में भी परिवर्तन आया है। जिससे महिला अधिकारों के साथ महिलाओं की सुरक्षा में भी परिवर्तन आया है। अगर महिला अधिकारों की बात करें तो ऐसे अधिकार या ऐसी स्वाधीनता जिसे करने के लिए महिलाएं किसी के द्वारा परतंत्र न हो अर्थात् महिलाओं की स्वतंत्रता, समानता की रक्षा करने वाले अधिकारों को महिला अधिकार कहा जाता है। दुनिया की हर सभ्यता और धर्म में स्त्री जाति के प्रति लगभग एक जैसा रवैया है। इज्जत, परम्परा, घर-बच्चे, ईश्वर, शांति एवं विकास आदि के नाम पर उसकी बलि ली जाती है। पिछले कुछ दशकों से स्त्री मुक्ति आंदोलनों के कारण कुछ फि़जा अवश्य बदली है। ये फिजा अब रूकनी नहीं चाहिये।

  1. प्रकाश नारायण नाटाणी ’’मानवाधिकार एवं महिलाएं, सबलाइम पब्लिकेशन, जयपुर, 2005, पृ. सं. 30
  2. समाचार पत्र, राजस्थान पत्रिका, परिवार परिशिष्ट, दि. 10.12.14, पृ. सं. 1
  3. Mrinal Pande “STEPPING OUT LIFE AND SEXUALITY IN RURAL INDIA”, Paper back edition, 2003, pp 125
  4. एम. ए. अंसारी, ’’राष्ट्रीय महिला आयोग और भारतीय नारी’’, ज्योति प्रकाशन, नई दिल्ली, पृ. सं. 209
  5. वी. एन. सिंह, जयमेजय सिंह, ’’आधुनिकता एवं महिला सशक्तीकरण’’, रावत पब्लिकेशन, जयपुर, 2010, पृ. सं. 11
  6. करण बहादुर सिंह, ’’महिला अधिकार एवं सशक्तीकरण’’ कुरूक्षेत्र मार्च, 2006, पृ. सं. 13
  7. मन्जू शर्मा, ’’संस्कृत महाकाव्यों में नारी के अधिकार एवं कत्र्तव्य’’, ईस्टर्न बुक लिंकर्स, दिल्ली, पृ. सं. 111
  8. भर्ता हि खलु नारीणां गुण वन्निर्गुणोपि वा। धर्म विमृशमानानां प्रत्यक्ष देवि दैवतम्।। रामा. 2.62.8
  9. Indira jaising, “Violence against women : The Indian Perspective”, New York Great Britian by London , 1995, pp.  51
  10. समाचार पत्र, राजस्थान पत्रिका, दि. 02.03.16, पृ. सं. 1
  11. कमलेश कुमार गुप्ता, ’’भारतीय महिलाएं, शोषण, उत्पीड़न एवं अधिकार’’, बुक एन्कलेव, जयपुर, 2005, पृ. सं. 85
  12. सुषमा शुक्ला, ’’वैदिक वाड़्मय में नारी’’, विद्यानिधि प्रकाशन, दिल्ली, 2002, पृ. सं. 112
  13. उपरोक्त, पृ. सं. 113
  14. विश्व प्रकाश गुप्ता, मोहिनी गुप्ता, ’’भारत की नारी: एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण’’, नितिन गर्ग द्वारा नमन प्रकाशन, नई दिल्ली, 1999, पृ. सं. 3
  15. पतंजलि 3/822 उपेत्याधीत्रे अस्याः साः उपाध्यायाः।
  16. विश्व प्रकाश गुप्ता, मोहिनी गुप्ता, ’’भारत की नारी: एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण’’, नितिन गर्ग द्वारा नमन प्रकाशन, नई दिल्ली, 1999, पृ. सं. 4
  17. सपत्नीयत्या..................यज्ञस्य युक्तो धूर्याव भूताम् तै. ब्रा. 3/7/5
  18. आप. धर्मसूत्र (2/5/11/13)
  19. विश्व प्रकाश गुप्ता, मोहिनी गुप्ता, ’’भारत की नारी: एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण’’, नितिन गर्ग द्वारा नमन प्रकाशन, नई दिल्ली, 1999, पृ. सं. 8
  20. www.acchikhabar.com/2012/11/13/shree-nanal-dev-ji-life-in-hindi/ fn- 01-02-16
  21. https:hi.m.wikipedia.org/wiki/---------------- दि. 01.02.16
  22. विश्व प्रकाश गुप्ता, मोहिनी गुप्ता, ’’भारत की नारी: एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण’’, नितिन गर्ग द्वारा नमन प्रकाशन, नई दिल्ली, 1999, पृ. सं. 14
  23. उपरोक्त, पृ. सं. 16
  24. उपरोक्त, पृ. सं. 21
  25. www.culturalindia.net>Leaders/sarojini-naidu.html  दि. 03.03.16
  26. कुसुम मेघवाल, दलित महिलाएं: इतिहास और भविष्य’’, राद्या पब्लिकेशन, जयपुर, 1992, पृ. सं. 95
  27. समाचार पत्र, दैनिक जागरण, दि. 03.03.2009, पृ. सं. 3
  28. वृंदा करात, भारतीय नारी ’संघर्ष एवं मुक्ति’’, होकर नाइस प्रिंटिंग प्रेस, दिल्ली, 2008, पृ. सं. 41
  29. वी. एन. सिंह, जयमेजय सिंह, ’’आधुनिकता एवं महिला सशक्तीकरण’’, रावत पब्लिकेशन, जयपुर, 2010, पृ. सं. 101
  30. सुभाष सेतिया, ’’स्त्री अस्मिता के प्रश्न’’, कल्याणी शिक्षा परिषद्, नई दिल्ली, 2008, पृ. सं. 64
  31. चन्द्रमोहन अग्रवाल, ’’भारतीय नारी: विविध आयाम’’, अल्मोड़ा बुक डिपो, उतर-प्रदेश, 1994, पृ. सं. 71
  32. उपरोक्त, पृ. सं. 82
  33. https://hi.m.wikipedia:org/wiki/नारीवाद  दि.  03.03.16
  34. प्रति प्रभा गोयल, ’’महिला सशक्तीकरण, प्रयास और लक्ष्य’’, कुरूक्षेत्र, मार्च 2005, पृ. सं. 12

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