( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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तुलसीः नारी दृष्टि

    2 Author(s):  YOGENDRA SINGH MALIK , KIRAN DEVI

Vol -  6, Issue- 12 ,         Page(s) : 206 - 212  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

नारी का लावण्य कला का तलाम भाव है।1 सृष्टि के मूल में रहने वाली नारी कला के ललाम रूप का मुख्य प्राण एवं समाज की शक्ति रही है। साहित्य जीवन के यथार्थ को समग्र रूप में अभिव्यक्त करता है। यह समग्रता नारी की अभिव्यक्ति के बिना पूर्ण नहीं होती। अतः साहित्य सृजन के आरम्भ से नारी वण्र्य-विषय रही है। ‘‘नारी जागरण की दृष्टि से तो साहित्य उसके स्वत्व और व्यथा का समर्थ व्याख्याकार ही रहा है। कवियों के कंठ से भारत की जय ही नहीं गूंजी, नारी की जय भी ध्वनित हुई है। कथाकारों की आँखों में भारत माता की परवशता पर ही आँसू नहीं आए हैं, विवश नारी के बंधनों पर भी आये हैं।2

1. ‘कला और संस्कृति’, डाॅ0 वासुदेवशरण अग्रवाल, पृष्ठ-205
2. ‘आधुनिक हिन्दी काव्य में नारी भावना’, डाॅ0 शैल कुमारी, पृष्ठ-1 
3. ‘पृथ्वीराज रासो’, चन्दरबरदायी, पृष्ठ-147
4. ‘दादू दयाल की बानी’ पृष्ठ-41 
5. ‘गरीब दास की बानी’, पृष्ठ-43
6. ‘कवि दृष्टिः नारी दृष्टि’, डाॅ0 शुभा माहेश्वरी, रचनाकर्म, गुजरात जनवरी-मार्च, 2005, पृष्ठ-38
7. ‘जायसी ग्रन्थावली’, पृष्ठ-199
8. ‘रचना कर्म’ आनन्द, गुजरात, जनवरी-मार्च, 2005, पृष्ठ-39
9. ‘रामचरित मानस’-बालकांड, पृष्ठ-256
10. ‘रचनाकर्म’, आनन्द-गुजरात, जनवरी-मार्च 2005, पृष्ठ-39
11. ‘तुलसीदास का स्त्री विमर्श’, मंजुरानी सिंह, अनुशीलन इलाहाबाद, दिस0-मार्च 2005, पृष्ठ-110
12. ‘अनुशीलन’ प्रयोग, दिसम्बर-मार्च 2005 से उद्धृत। 
13. ‘रामचरितमानस’, तुलसी दास, बालकाण्ड, चैपाई-7-1 
14. ‘रामचरित मानस’, तुलसी, चैपाई-3-6 अरण्यकांड
15. ‘रामचरित मानस’, लंकाकाण्ड, 15 
16. वही, 15, 1
17. ‘तुलसी का स्त्री-विमर्श’ - मंजुरानी सिंह-अनुशीलम, प्रयाग, दिस0-मार्च 2005, पृष्ठ-113 से उद्धृत 
18. वही, पृष्ठ-114
19. ‘रामचरित मानस’, अरण्यकाण्ड, 43-1, 2, 3, 4, 4-44
20. अनुशीलन प्रयोग, दिस0 मार्च-2005, मंजुरानी सिंह, पृष्ठ-114 
21. ‘रामचरित मानस’, अरण्य काण्ड, 10, 3-7 
22. ‘रामचरित मानस’, सुन्दर काण्ड, 58, 1-8 
23. ‘अनुशीलन’, प्रयोग, दिस0-मार्च 2005, मंजु रानी सिंह पृष्ठ 115
24. वही, पृष्ठ-116 से उद्धृत (लेखक-मंजुरानी सिंह)
25. वही, पृष्ठ-117
26. ‘रामचरित मानस’, अयोध्याकाण्ड 262-1 
27. ‘रामचरित मानस’, बालकाण्ड, 46
28. ‘रामचरित मानस’, बालकाण्ड, 67 
29. ‘रामचरित मानस’, किष्किंधा काण्ड, 3-49
30. अनुशीलन, प्रयोग, दिसम्बर-मार्च 2005

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