International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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प्राच्यवाद की अवधारणा
1 Author(s): DR. TRIPTI SRIVASTAVA
Vol - 7, Issue- 1 , Page(s) : 313 - 318 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी एवं विकिपीडिया के अनुसार अठ्ठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में ष्प्राच्यविदष् शब्द ऐसे विद्वानों को सम्बोधित करने के लिए प्रयुक्त होता था जो कि प्राच्य देशों तुर्कीए सीरियाए फिलिस्तीशनए मेसोपोटामियाए अरबिया आदि के भाषा एवं साहित्य में प्रवीण होते थे ण् प्राच्य देशों की परिभाषा में पहले.पहल तो निकटवर्ती पूर्वी देश या कहें तो मध्य एशियाई देश सम्मिलित थे परंतु बाद में इसमें भारतए चीनए जापान आदि जैसे दक्षिण.पूर्वी एवं धुर पूर्वी देश सम्मिलित किये गए और अंत.अंत तक यह विशेषण समस्त एशिया के लिए ही प्रयुक्त होने लगाण्