बिंबसार - मगध का पहला दूरदर्शी राजा
1
Author(s):
SANJAY CHAUDHARI
Vol - 3, Issue- 1 ,
Page(s) : 149 - 151
(2012 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
Abstract
सरांश: भारतीय प्राचीन काल का ऐतिहासिक काल का आरंभ महाजनपदों के काल से माना जाता है। इनमे मगध एक महत्वपूर्ण महाजनपद मिलता है। कलांतर में महाजनपदों में विस्तारवाद की होड़ मची और अधिकांश महाजनपद मुख्य चार महाजनपदो आवन्ती, कोसल तथा मगध में विलीन हो गए। अंतिम तीन महाजनपदों में मगध के द्वारा विस्तारवादी नीति का अनुपालन अपेक्षाकृत देर से आरंभ हुआ। इसका श्रेय बिंबसार को दिया जा सकता है। कोसल, आवन्ती तथा वज्जि जैसे राज्य अत्याधिक शक्तिशाली हो चुके थे। ऐसे में बिंबसार के पास विस्तार के विकल्प अत्याधिक कम थे। विस्तार की किसी नीति को अपनाने के पूर्व बिंबसार को मगध की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने की भी आवश्यकता थी। बिंबसार ने मगध को शक्तिशाली हो चुके राज्यों से सुरक्षित करने और विस्तार के लिए संभावित विकल्पों की तलाश आवश्यक थी। बिंबसार ने वैवाहिक कूटनीति और व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करके मगध को एक मजबूत आधार देने में कामयाबी पाई। बिंबसार ने मगध को विशाल राज्य बनाने के लिए और स्थायत्त्व प्रदान करने के लिए आवश्यक मूलभूत ढाँचा प्रदान करने का भी प्रयास किया। बिंबसार को यदि भारत का प्रथम दूरदर्शी सम्राट कहा जाय तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
- अंगुत्तर निकाय,
- भगवतीसूत्र,
- रईस डेविड्स, बुद्धिस्ट इंडिया, दिल्ली, 1997, पृष्ठः24।
- रायचैधुरी हे.च., पोलिटिकल हिस्ट्री आव ऐंन्सियंट इंडिया, कलकत्ता, 1975, पृष्ठः 181 फुटनोेट।
- उपरोक्त, पृष्ठः182।
- जैन सूत्र।
- रायचैधुरी हे.च., पोलिटिकल हिस्ट्री आव ऐंन्सियंट इंडिया, कलकत्ता, 1975, पृष्ठः 182।
- उपरोक्त,
- परिशिष्टपरवण, खण्ड सात, 22। भगवतीसूत्र तथा निरयावलीसूत्र।
- रईस डेविड्स, बुद्धिस्ट इंडिया, दिल्ली, 1997, पृष्ठः24।
- चुल्लवग्ग, खण्ड सात, 3.5।
|