( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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दिव्या में स्त्री-पात्र

    1 Author(s):  SANTOSH KUMAR SINGH

Vol -  7, Issue- 5 ,         Page(s) : 171 - 173  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

दिव्या यषपाल का ऐतिहासिक उपन्यास है । इस उपन्यास में भारतीय इतिहास के उस कालखण्ड का वर्णन है जिसमें यवन शक्ति सक्रिय थी ; तत्कालीन समाज में स्त्री के जीवन को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने का प्रयास किया गया है ।

1. यषपाल, दिव्या, सं0 आनन्द, यषपाल रचनावली, 2007, दूसरा खण्ड,      पृ. सं.  - 55 
2. यषपाल, दिव्या, सं0 आनन्द, यषपाल रचनावली, 2007, दूसरा खण्ड,      पृ. सं.- 71
3. यषपाल, दिव्या, सं0 आनन्द, यषपाल रचनावली, 2007, दूसरा खण्ड,      पृ. सं.- 81
4. यषपाल, दिव्या, सं0 आनन्द, यषपाल रचनावली, 2007, दूसरा खण्ड,      पृ. सं.- 86
5. यषपाल, दिव्या, सं0 आनन्द, यषपाल रचनावली, 2007, दूसरा खण्ड,      पृ. सं.- 94 
6. यषपाल, दिव्या, सं0 आनन्द, यषपाल रचनावली, 2007, दूसरा खण्ड,      पृ. सं.- 94
7. यषपाल, दिव्या, सं0 आनन्द, यषपाल रचनावली, 2007, दूसरा खण्ड,      पृ. सं.- 94
8. यषपाल, दिव्या, सं0 आनन्द, यषपाल रचनावली, 2007, दूसरा खण्ड,      पृ. सं.-120
9. यषपाल, दिव्या, सं0 आनन्द, यषपाल रचनावली, 2007, दूसरा खण्ड,      पृ. सं.-130 

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